जिन्दगी स्वर्ग है
जो प्रेम में निबद्ध है
जिन्दगी नर्क है
जो प्रतिशोध से सम्बद्ध है।
जिन्दगी एहसास है
जो रूमानी हुआ
जिंदगी व्याख्या है
जो कहानी हुआ ।
जिन्दगी ठहर गयी
जो झील हुआ
जिन्दगी चल पड़ी
जो मील हुआ ।
सतत परिवर्तन है
जिंदगी नर्तन है ।
जिन्दगी थक गयी
जिसने हार मान ली
जिन्दगी जिन्दा है
जिसने रार ठान ली।
जिन्दगी झरना है
जिसने बहना सीखा
जिन्दगी पड़ाव है
जिसने ठहरना सीखा ।
जिन्दगी दर्शन है
जो द्रष्टा है
जिन्दगी ब्रह्म है
जो स्रष्टा है ।
जिन्दगी होश है
जो जागा
जिन्दगी जोश है
जो भागा ।
जिन्दगी सबकुछ है
जिन्दगी सतरंगी है
लाल हरी नीली पीली
कुछ कुछ नारंगी है ।
ना कुछ में सबकुछ
अपना ये जीवन है
छोडो सब बातें
ये आल इन वन है ।
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- योगेन्द्र
1:56 AM
4 comments:
atyant hi sahajta se purn jeevan ki sargarbhit paribhasha....
शुक्रिया हरप्रीत जी
ब्लॉग पर समय देने के लिए
शुक्रिया हरप्रीत जी
ब्लॉग पर समय देने के लिए
बहुत बहुत आभार
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