कठिन है, कितना कठिन है !!
मौन में अनवरत जीना,
कठिन है कितना कठिन है
निरंतर जागते रहना
है कठिनतम
रिक्तता की गुरु शिला के तले दब कर ,
साँस को भी चूंस कर पीना
दिये की निष्कंप बाती सा निरंतर
स्वयं के धुएं में घुटकर
शून्य में ही सुलगते रहना |
कठिन है, कितना कठिन है !!
शून्य के उस पयोधर तक पहुँच पाना
और उस से सत्य की चिन्मयी रस धारा बहा देना
दूर हिम नद में छिपी ज्यों एक सलिला
और उसकी गर्भ- जल-धारा
एक भगीरथ की तपस्या सा कठिन है
उसको धरा पर प्राण दे पाना |
वह जो अंतर की अँधेरी गुहा में
जागता रहता सदा अविकल प्रतीक्षा में
कौन है वह ....
एक हीरा तोड़ने जितना कठिन है
उस सदा गति मय उपस्थिति को
कोई अर्थ दे पाना
कोई नाम दे पाना ...
मौन में अनवरत जीना,
कठिन है कितना कठिन है
निरंतर जागते रहना
है कठिनतम
रिक्तता की गुरु शिला के तले दब कर ,
साँस को भी चूंस कर पीना
दिये की निष्कंप बाती सा निरंतर
स्वयं के धुएं में घुटकर
शून्य में ही सुलगते रहना |
कठिन है, कितना कठिन है !!
शून्य के उस पयोधर तक पहुँच पाना
और उस से सत्य की चिन्मयी रस धारा बहा देना
दूर हिम नद में छिपी ज्यों एक सलिला
और उसकी गर्भ- जल-धारा
एक भगीरथ की तपस्या सा कठिन है
उसको धरा पर प्राण दे पाना |
वह जो अंतर की अँधेरी गुहा में
जागता रहता सदा अविकल प्रतीक्षा में
कौन है वह ....
एक हीरा तोड़ने जितना कठिन है
उस सदा गति मय उपस्थिति को
कोई अर्थ दे पाना
कोई नाम दे पाना ...