Tuesday, June 15, 2010

आयी किरण पाती पिया की








आयी किरण पाती पिया की,
बज उठी सांकल हिया की |


भावना ने पंख तोले
दृष्टि ने उठ द्वार खोले,
सामने देखी क्षितिज पर,
लाल पगड़ी डाकिया की |

बिछौने के शूल सारे,
खिल उठे बन फूल सारे,
रात भर की थकी हरी,
सो गयी बाती दिया की |

आस ने आँगन बुहारा
आस्था बोली दुबारा


मैं न कहती थी वो एक दिन
पीर बूझेंगे जिया की
























5 comments:

अरुण अवध said...

सुंदर भावपूर्ण गीत
बधाई

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

ख़ूबसूरत बिम्बों का प्रयोग।

Unknown said...

lagu lekin bhavo se paripurn....

Unknown said...

lagu lekin bhavo se paripurn....

वीथिका said...

Thanks dear harpreet ji